Maa ka dulaar
Murty, Sudha
Maa ka dulaar - New Delhi Prabhat Prakashan 2024 - 144 p.
मैं उसके हस्तक्षेप से थक चुकी थी। मैं बोली, ‘ठीक है, मुझे इस बारे में सोचने दीजिए। हम बाद में बात करते हैं।’
अगले दिन उसने फिर मुझे फोन किया। ‘मैडम, हमारी फैक्टरी में लंबे लोग भी हैं। क्या मैं आपको अलग-अलग सूची भेज दूँ, ताकि आप उनके लिए अधिक कपड़ा खरीद सकें?’
‘सुनिए, मेरे पास संशोधनों के लिए समय नहीं है। मैं ऐसा नहीं कर सकती।’
‘साड़ियों और कपड़ों का रंग क्या होगा?’
‘एक ही मूल्य के कपड़ों में हम अलग-अलग रंग ले लेंगे।’
‘अरे, आप ऐसा नहीं कर सकतीं। कुछ लोगों को अपने उपहारों के रंग पसंद आ सकते हैं और कुछ को बिलकुल भी नहीं आ सकते तो वे बहुत दुःखी हो जाएँगे।’
‘ऐसा है तो मैं एक ही रंग सभी को दे दूँगी।’
‘नहीं मैडम, ऐसा मत कीजिएगा। वे सोचेंगे कि आप उन्हें एक यूनिफॉर्म दे रही हैं।’
थककर मैं बोली, ‘तो आपका क्या सुझाव है?’
—इसी पुस्तक से
---
सुप्रसिद्ध कथा-लेखिका सुधा मूर्ति की लेखनी से प्रसूत रोचक, प्रेरक एवं आह्लादित करनेवाली कथाओं का संग्रह, जो अत्यंत पठनीय है।
(https://www.prabhatbooks.com/maa-ka-dulaar.htm)
9789350484692
Hindi story
Moral stories
891.433 / MUR
Maa ka dulaar - New Delhi Prabhat Prakashan 2024 - 144 p.
मैं उसके हस्तक्षेप से थक चुकी थी। मैं बोली, ‘ठीक है, मुझे इस बारे में सोचने दीजिए। हम बाद में बात करते हैं।’
अगले दिन उसने फिर मुझे फोन किया। ‘मैडम, हमारी फैक्टरी में लंबे लोग भी हैं। क्या मैं आपको अलग-अलग सूची भेज दूँ, ताकि आप उनके लिए अधिक कपड़ा खरीद सकें?’
‘सुनिए, मेरे पास संशोधनों के लिए समय नहीं है। मैं ऐसा नहीं कर सकती।’
‘साड़ियों और कपड़ों का रंग क्या होगा?’
‘एक ही मूल्य के कपड़ों में हम अलग-अलग रंग ले लेंगे।’
‘अरे, आप ऐसा नहीं कर सकतीं। कुछ लोगों को अपने उपहारों के रंग पसंद आ सकते हैं और कुछ को बिलकुल भी नहीं आ सकते तो वे बहुत दुःखी हो जाएँगे।’
‘ऐसा है तो मैं एक ही रंग सभी को दे दूँगी।’
‘नहीं मैडम, ऐसा मत कीजिएगा। वे सोचेंगे कि आप उन्हें एक यूनिफॉर्म दे रही हैं।’
थककर मैं बोली, ‘तो आपका क्या सुझाव है?’
—इसी पुस्तक से
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सुप्रसिद्ध कथा-लेखिका सुधा मूर्ति की लेखनी से प्रसूत रोचक, प्रेरक एवं आह्लादित करनेवाली कथाओं का संग्रह, जो अत्यंत पठनीय है।
(https://www.prabhatbooks.com/maa-ka-dulaar.htm)
9789350484692
Hindi story
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