Laharo ka Rajhansh
Rakesh, Mohan
Laharo ka Rajhansh - New Delhi Rajkamal Prakashan 2020 - 132 p.
लहरों के राजहंस’ सांसारिक सुखों और आध्यात्मिक शान्ति के अन्तर्विरोधों के बीच खड़े व्यक्ति के द्वन्द्व को दर्शानेवाला एक ऐसा नाटक है जो रेखांकित करता है कि ऐतिहासिक कथानकों के आधार पर श्रेष्ठ और सशक्त नाटकों की रचना तभी सम्भव है जब नाटककार ऐतिहासिक पात्रों और कथा स्थितियों को अनैतिहासिक और युगीन बना दे। इस निकष पर ‘लहरों के राजहंस’ का खरा उतरना ही उसके हिन्दी के श्रेष्ठ नाटकों में शुमार होने का कारण है। ‘लहरों के राजहंस’ स्त्री और पुरुष के प्र सम्बन्धों का अन्तर्विरोध भी उजागर करता है। जीवन के प्रेम और श्रेय के बीच जो एक कृत्रिम और आरोपित द्वन्द्व है वही इस नाटक का कथा-बीज है, केन्द्र-बिन्दु है। द्वन्द्व में चयन की जो कसमसाहट है उसी की अभिव्यक्ति है ‘लहरों के राजहंस’। सुन्दरी के रूपपाश में बँधते हुए अनिश्चित, अस्थिर और संशयी मतवाले नन्द की स्थिति इस नाटक को दिलचस्प और चौंकानेवाला रूप भी प्रदान करती है। मोहन राकेश की कीर्ति को शिखर पर पहुँचानेवाली रचनाओं में ‘लहरों के राजहंस’ का विशिष्ट स्थान है।
9788126730582
Fiction
891.432 / RAK
Laharo ka Rajhansh - New Delhi Rajkamal Prakashan 2020 - 132 p.
लहरों के राजहंस’ सांसारिक सुखों और आध्यात्मिक शान्ति के अन्तर्विरोधों के बीच खड़े व्यक्ति के द्वन्द्व को दर्शानेवाला एक ऐसा नाटक है जो रेखांकित करता है कि ऐतिहासिक कथानकों के आधार पर श्रेष्ठ और सशक्त नाटकों की रचना तभी सम्भव है जब नाटककार ऐतिहासिक पात्रों और कथा स्थितियों को अनैतिहासिक और युगीन बना दे। इस निकष पर ‘लहरों के राजहंस’ का खरा उतरना ही उसके हिन्दी के श्रेष्ठ नाटकों में शुमार होने का कारण है। ‘लहरों के राजहंस’ स्त्री और पुरुष के प्र सम्बन्धों का अन्तर्विरोध भी उजागर करता है। जीवन के प्रेम और श्रेय के बीच जो एक कृत्रिम और आरोपित द्वन्द्व है वही इस नाटक का कथा-बीज है, केन्द्र-बिन्दु है। द्वन्द्व में चयन की जो कसमसाहट है उसी की अभिव्यक्ति है ‘लहरों के राजहंस’। सुन्दरी के रूपपाश में बँधते हुए अनिश्चित, अस्थिर और संशयी मतवाले नन्द की स्थिति इस नाटक को दिलचस्प और चौंकानेवाला रूप भी प्रदान करती है। मोहन राकेश की कीर्ति को शिखर पर पहुँचानेवाली रचनाओं में ‘लहरों के राजहंस’ का विशिष्ट स्थान है।
9788126730582
Fiction
891.432 / RAK